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    भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी का नागरिक अभिनंदन उद्बोधन, हरियाणा राजभवन

    Publish Date: नवम्बर 29, 2022

    भारत की राष्ट्रपति माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी,
    आदरणीय श्री बनवारी लाल पुरोहित जी, पंजाब के राज्यपाल व संघीय क्षेत्र, चंडीगढ़ के प्रशासक
    माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी,
    आदरणीय उप-मुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चैटाला जी,

    उपस्थित मंत्रीगण, अधिकारीगण, अन्य महानुभाव, भाइयो व बहनों, मीडिया बंधुओं! 
    मेरा परम सौभाग्य है कि आज मुझे माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के हरियाणा राजभवन में प्रथम आगमन पर आपका स्वागत एवं अभिनंदन करने का अवसर मिला है।
    मैं राजभवन प्रांगण में अपनी ओर से व प्रदेशवासियों की ओर से आपका तहेदिल से स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूं।
    आपका यह शुभ आगमन अत्यंत ही शुभ अवसर पर हुआ है जब देश ही नहीं, पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में सराबोर है। ये समय भारतीय संस्कृति में ज्ञान व कर्म के रूप में जाना जाता है।
    राजभवन आगमन से पहले धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में इस साल के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभांरभ अपने कर-कमलों से करके आपने इस पावन दिवस की गरिमा को कई गुणा बढ़ाया है।
    देवियों, सज्जनों, महानुभावों ! आज के इस पावन दिवस पर मैं भारत रत्न बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर के कथन को दोहराना चाहूंगा। उन्होंनेें कहा था कि किसी समाज की प्रगति उस समाज में महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति से होती है।
    महोदया ! आपने सदैव श्रीमद्भगवदगीता के संदेश को जीवन में उतारा है। आप कठोर निष्ठा, त्याग, तपस्या, कर्म और निष्काम सेवा की प्रतिमूर्ति हैं। आपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन कभी भी जीवन मूल्यों से समझौता नहीं किया और सदैव गरीब समाज की भलाई के लिए काम किया।
    आपने 20 जून उन्नीस सौ अठावन (1958) को उड़ीसा राज्य के रायरंगपुर क्षेत्र में उपरबेड़ा गांव के साधारण परिवार में जन्म लिया, तो उस समय वहां की परिस्थितियां बड़ी विकट थीं।
    आपको भी जीवन में कठोर हालात का मुकाबला करना पड़ा। अध्यापिका के पद पर सरकारी नौकरी करते हुए भी आपने अपनी सेवा को समाज सेवा के जज्बे के साथ किया।
    समाज सेवा की यह भावना आपके मन में और प्रबल हुई तो आपने राजनीति के माध्यम से सेवा का मिशन अपना लिया।
    आपने रायरंगपुर नगर पंचायत के चुनाव में भाग लिया और पार्षद बनीं।
    वर्ष 2000 में रायरंगपुर विधान सभा क्षेत्र से ही विधान सभा का चुनाव जीतकर विधायक बनी और उड़ीसा सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री पद को सुशोभित किया।
    प्रशासनिक, शैक्षणिक, राजनीतिक और जन सेवा के अनुभव को देखते हुए आपको 18 मई, दो हजार पंद्रह (2015) को झारखंड के राज्यपाल के रूप में संवैधानिक पद पर नियुक्त किया गया।
    आप प्रदेश के सर्वोच्च पद पर विराजमान होकर भी अपने मूल को नहीं भूलीं। झारखंड की राज्यपाल रहते हुए आपने झारखंड सरकार का ”आदिवासी भूमि का व्यावसायिक उपयोग” से संबंधित अध्यादेश वापिस लौटाया था। यह आदिवासियों के हितों की सुरक्षा की दिशा में आपका एक क्रांतिकारी कदम था।
    आजादी के पिचहतर (75) वर्षों में पहली बार देश में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला का सर्वोच्च पद पर आसीन होना देश के लिए ऐतिहासिक एवं गर्व का विषय है। देश की 50 प्रतिशत जनसंख्या यानि कि महिलाओं के लिए अत्यंत ही हर्ष का विषय है। आज गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी समुदाय के लोग व महिलाएं आप में अपना प्रतिबिम्ब देख रहे हैं।
    आप भारत के समस्त नागरिकों की आशा, आकांक्षा और अधिकारों की संरक्षक हैं। आप जीवन में कठिन परिस्थितियों में भी सन्तुलित रहते हुए दृढ़ता से आगे बढ़ी हैं।
    आपकी धार्मिक आस्था प्रेरणादायी है। हर रोज अपने गांव के मंदिर में जाकर सफाई करना आपकी धार्मिक आस्था को बयान करता है। पुरी में भगवान जगन्नाथ दर्शन के लिए दो किलामीटर नंगे पाव पैदल चलना भी भगवान के प्रति आपकी निष्ठा, भक्ति, आस्था को प्रदर्शित करता है। भक्ति योग में भी कहा गया है कि-
    यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति।
    शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः।।

    भावार्थ- जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है, वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है। आप पर सदैव भगवान श्रीकृष्ण की कृपा रही है।
    आपके सर्वोच्च पद पर काबिज होने से देश में संविधान निर्माता बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले के सामाजिक एकता, समरसता के सिद्धांत को बल मिला है। आपके ओजस्वी नेतृत्व में निश्चित रूप से देश में एक समता समाज की स्थापना होगी और सद्भाव बढ़ेगा।
    माननीया राष्ट्रपति जी! आज आप हरियाणा प्रदेश की उस पावन भूमि पर पधारी हैं, जिसे भारतीय संस्कृति का पौषक कहा जाता है। यहां के लोगांे ने सदैव गीता के कर्म के सन्देश को अपनाकर मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिए हैं। इसलिए हरियाणा को आज वीर भूमि के नाम से जाना जाता है। हरियाणा देश का मात्र 2 प्रतिशत क्षेत्र और जनसंख्या का अढ़ाई प्रतिशत भाग होते हुए भी भारत की सेनाओं में 10 प्रतिशत स्थान रखता है।
    हरियाणा प्रदेश 1 नवम्बर, उन्नीस सौ छियासठ (1966) में अस्तित्व में आया। हरियाणा प्रदेश की सीमाएं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीन ओर से लगती हैं। इसलिए यहां हर क्षेत्र में विकास की सम्भावनाएं हैं और हरियाणा सरकार ने इसका भरपूर फायदा उठाया है।
    आज हरियाणा आटो उत्पादन, कृषि, खेल, सैन्य मामलों, डेयरी उत्पाद व अन्य क्षेत्रों में देश का अग्रणी राज्य है। हाल ही में भारतीयय कृषि एवं खाद्य परिषद द्वारा हरियाणा को ‘‘इण्डिया एग्रो बिजनेस बेस्ट स्टेट‘‘ अवार्ड मिला है। इसके लिए किसानों को बहुत-बहुत बधाई। हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है, जो हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है। यह अन्य राज्यों के लिए एक नजीर है। इसका श्रेय यहां वर्तमान राजनीतिक लीडरशिप के साथ-साथ प्रदेश की जनता को जाता है।
    प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है यहां उच्च शिक्षा के बड़े संस्थान है। प्रदेश में कौशलता और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। ये दोनों विश्वविद्यालय देश में पहली बार हरियाणा में शुरू हुए हैं। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दो हजार पच्चीस (2025) तक पूर्ण रूप से लागु करने का लक्ष्य रखा है, जबकि केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति दो हजार तीस (2030) तक लागु करने का लक्ष्य है।
    महोदया! आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। भारतवर्ष आपके सफल मार्गदर्शन में व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में दुनिया के अग्रणी देशों में होगा। वर्तमान में भारतवर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। भारत को दो हजार सैंतालीस (2047) तक विकसित देश बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। इस पर हरियाणा ने आगे बढ़कर कार्य करना शुरू कर दिया है।
    अंत में एक बार फिर मैं आपका हरियाणा की पावन धरा पर पूरे प्रदेशवासियों की तरफ से स्वागत करता हूं। आपके आगमन से हमें, प्रदेश को और आगे ले जाने की प्रेरणा मिली है। इसके लिए मैं आपको कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं व साथ ही आपसे पुनः अनुरोध करता हूं कि हरियाणा राज्य पर सदैव अपनी अनुकंपा बनाए रखें।
    जयहिन्द-जय हरियाणा!