Close

    नैशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट

    Publish Date: नवम्बर 13, 2021

    श्री मनोज मिश्रा, अध्यक्ष नैषनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इण्डिया)
    श्री सुरेश शर्मा, महासचिव नैषनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इण्डिया)
    श्री अमरनाथ, अध्यक्ष चण्डीगढ़ जर्नलिस्ट ऐसोसिएषन
    श्री दुष्यंत पुंडीर, महासचिव चण्डीगढ़ जर्नलिस्ट ऐसोसिएषन
    सभी पदाधिकारी,सदस्यगण व पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं।

    अपनी लेखनी के माध्यम से देष व समाज की सेवा कर रहे पत्रकारों के इस कार्यक्रम में आकर मुझे अत्यंत ही खुषी का अनुभव हो रहा है। इस अवसर पर मैं आप सबको बधाई देता हूं। आने वाली 16 नवम्बर को राश्ट्रीय प्रैस दिवस मनाया जा रहा है। इसके लिए भी मैं अग्रिम षुभकामनाएं एवं बधाई देता हूँ।

    मुझे यह देखकर खुषी होती है कि पत्रकार संगठन जहां एक ओर पत्रकारों के काम की परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए सक्रिय हैं, वहां दूसरी ओर उनके व्यावसायिक स्तर को उन्नत करने के लिए भी प्रयासरत हैं।
    प्रजातंत्र में प्रैस की भूमिका से आप भलीभांति परिचित हैं। प्रैस को प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि देष की आजादी से पहले और आजादी के बाद भी प्रैस ने भारत को आजाद करवाने व राष्ट्र-निर्माण में अपनी उपयोगिता को पूरी शक्ति के साथ प्रमाणित किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले पत्रकारिता एक मिषन था। भौतिकवाद के चलते आज यह व्यवसाय बन गया है। इस पहलू को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता।
    स्वतंत्र और निःस्वार्थ सेवा से कार्य करने वाला प्रैस तन्त्र तानाषाही के विरूद्ध सबसे बड़ा आन्दोलन है। हालाकि अब पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने में असामाजिक तत्व, देषविरोधी संगठन, गैंग व माफिया चुनौती बन गए हैं।
    सामरिक क्षेत्र से सम्बन्धित क्षेत्र से सम्बन्धित रिपोर्टिंग करने में तो पत्रकरों को जान हथेली पर रख कर कार्य करना होता है। पत्रकारों पर हमले व हत्याओं की खबरें भी सुनने को मिलती है। ऐसी घटनाओं से पार पाने के लिए पत्रकारों का समावेषी सोच के साथ आपस मे संगठित होना होगा और एक पेषेवर के रूप में एक दूसरे के हितों के लिए भी काम करना होगा। इससे सरकार व प्रषासनिक व्यवस्था भी मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ मानकर और पत्रकारिता जगत मे कार्य कर रहे लोगों के लिए संवदेनषील होगी।
    जैसा कि मैंने पहले भी जिक्र किया है कि भौतिकवाद के इस युग में पत्रकारिता एक व्यवसाय के रूप में उभरा है। इस दौर में भी आपने नैतिक और मानवीय मूल्यों का भौतिकवाद से संतुलन बना कर कार्य करना है।
    मैं प्रैस की आजादी का भी पूरी तरह से पक्षधर हूँ लेकिन आजादी का मतलब तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेष करना, दूसरों को ब्लैकमेल करना, चरित्र हनन करना, सनसनी फैलाना नहीं है। आपने पत्रकारिता को एक स्वच्छ व्यवसाय के रूप में अपनाना है। सोषल मीडिया, प्रिन्ट मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया के इस युग में अनेकों युवा इस व्यवसाय में भविश्य तलाष रहे हैं। आपने आने वाली पीढ़ी के सामने आदर्ष स्थापित करना है कि राश्ट्र, समाज की प्राथमिकता को ध्यान में रखकर किस प्रकार से पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे बढ़ना है।
    पीत पत्रकारिता से बचें क्योंकि पीत पत्रकारिता देष व प्रजातन्त्र के लिए बहुत ही नुकसानदायक है।
    आज सोषल मीडिया का युग है इसलिए प्रैस षब्द का अर्थ और व्यापक हो गया है। प्रैस में सोषल मीडिया के प्रभावों और दुशप्रभावों का भी नकारा नहीं जा सकता। इस समय भारत में सोषल मीडिया के लगभग 62 करोड़ से भी अधिक युजर्स हैं यानि कुल जनसंख्या का 45 प्रतिषत से भी अधिक लोग सोषल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं और यह भी सही है 90 प्रतिषत सूचनाएं सोषल मीडिया के माध्यम से आमजन को प्राप्त हो रही हैं। ऐसे में हम सबके सामने तथ्य और तथ्यहीन सूचनाओं की प्रमाणिकता की चुनौती भी है। सोषल मीडिया के इस युग मे मेन-स्ट्रीम की मीडिया की जिम्मेवारी और बढ़ी है।
    मुझे खुषी है कि आपका संगठन प्रैस की आज़ादी कायम रखने, पत्रकारों के हितों की रक्षा और पत्रकारिता के उच्च मानदंडों के अनुसार कार्य करने के लिए कटिबद्ध है।
    जैसा कि मुझे बताया गया है इस कार्यक्रम में पत्रकारों की कठिनाईयों, सेवा षर्ताें में बदलाव, आदि पर विस्तार से चर्चा की गई है। मुझे यह भी बताया गया है कि आपका संगठन देष के सभी राज्यों व केन्द्र षासित प्रदेषों में फैला है और इसके लगभग 10 हजार सदस्य हैं।
    प्रिय साथियों! प्रजातंत्र में प्रैस सरकार एवं लोगों के मध्य एक सेतु का महत्वपूर्ण कार्य करती है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास तथा कल्याण योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने तथा जन-साधारण की समस्याएं सरकार तक पहुंचाने का कार्य भी करती है।
    केन्द्र और राज्य सरकार ने भी आपको काम करने के लिए अच्छा वातावरण देने की कोषिष की है। हरियाणा सरकार ने वरिश्ठ पत्रकारों के लिए 10 हजार रूपये प्रतिमाह पैन्षन षुरू की है। इसके साथ प्रैस मान्यता के नियमों में भी ढील दी गई है ताकि मेन स्ट्रीम में कार्य करने वाले मीडियाकर्मी सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सके।
    मुझे इस बात की भी खुषी है कि हरियाणा सरकार ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों का सामूहिक बीमा करवाया हुआ है। इसके अलावा मीडिया कल्याण कोष की स्थापना की गई है। जिसमें सरकार द्वारा तीन करोड़ रूपये की राषि का प्रावधान किया गया है।
    मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए राज्य परिवहन की बसों में निःषुल्क यात्रा की सुविधा दी गई है। इसके साथ-साथ राज्य सरकार दिवंगत पत्रकारों के परिवारों को तथा जरूरतमन्द व बीमार पत्रकारों को आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है। आप लोगों ने कोरोना काल में पहली लाईन में रहकर अपनी जान की परवाह न करते हुए जिस प्रकार से रिपोर्टिंग की है, उसके लिए पूरा पत्रकार समाज बधाई का पात्र है। आपके सहयोग से प्रषासनिक तंत्र सभी कोरोना पीड़ितों तक पहुंच पाया है।
    मेरा मानना है कि प्रैस और पत्रकार बन्धु जो सरकार की त्रुटियों और गलतियों को रेखांकित करते हैं, वे सरकार के सच्चे मित्र व हितैषी हैं।
    इसमें कोई संदेह नहीं कि जिस प्रकार के महत्वपूर्ण काम को प्रैस और आप सब पत्रकार बन्धु सरअंजाम देते हैं, उसके दृष्टिगत आप सब सर्वत्र सम्मान के पात्र हैं। लेकिन इसके साथ ही आपकी जिम्मेदारियां भी उतनी ही ज्यादा हैं। इसलिए प्रैस को बिना किसी लाग-लपेट के निर्भय होकर अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए।
    पत्रकारिता के लिए प्रचलित ‘‘आचार संहिता’’ का पालन करना भी प्रत्येक पत्रकार के प्रमुख कर्त्तव्यों में से एक है। आषा है कि आप सब अपनी दायित्वपूर्ण पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्र सेवा के महान कार्य को समर्पित भावना से करते रहंेगे।
    अंत में मैं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए नैषनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट को पुनः बधाई देता हूं और आप सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। इस गरिमामय कार्यक्रम में मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं आयोजकों का धन्यवाद करता हूँ।
    जय हिन्द!