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    जे.सी.बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में तृतीय दीक्षांत समारोह

    Publish Date: अक्टूबर 8, 2021

    माननीय श्री के.के अग्रवाल जी, अध्यक्ष राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड ;छंजपवदंस ठवंतक व ि।बबतमकपजंजपवदद्ध

    जे.सी.बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 दिनेश कुमार जी,

    उपायुक्त फरीदाबाद श्री दिनेश यादव जी,
    कुलसचिव, डा. सुनील कुमार गर्ग जी,
    विश्वविद्यालय संसद, कार्य परिषद् एवं शिक्षा परिषद् के सम्मानित सदस्यगण, प्रोफेसर साहेबान, प्राध्यापकगण, प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताआंे, होनहार छात्रों तथा पत्रकार एवं छायाकार बंधुओं।
    विद्यार्थियों की इस सफलता में सभी सहयोगी व प्रेरक अध्यापकों, अभिभावकों तथा विश्वविद्यालय के अन्य सभी सदस्यों को भी मैं बधाई और साधुवाद देता हूं। मुझे खुशी है कि आज 750 युवाओं को डिग्री प्रदान की जा रही है , उनमें भी अधिकतर लड़कियां हैं। इससे प्रमाणित होता है कि लड़कियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।
    जैसा कि आप सबको पता है कि 1969 (उन्नीस सौ उनहत्तर) में इंडो-जर्मन परियोजना केे अंतर्गत स्थापित हुए इस संस्थान ने प्रगतिशील भारत की युवा शक्ति को कौशलवान तथा उद्यमशील बनाया है।
    हरियाणा सरकार द्वारा आधुनिक सदी के महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस के नाम पर इस संस्थान का नामकरण करना दूरदर्शी एवं सराहनीय पहल है।
    जे.सी. बोस भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया। वनस्पति विज्ञान में उन्होनें कई महत्त्वपूर्ण खोजें की। उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता माना जाता है। वे विज्ञानकथाएँ भी लिखते थे और उन्हें बंगाली विज्ञानकथा-साहित्य का पिता भी माना जाता है।

    वर्तमान मांग व विश्व व्यवस्था तथा नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए देश में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ लागू की गई है। यह शिक्षा नीति, 21वीं सदी की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप युवा पीढ़ी का सर्वांगीण विकास कर उनके भविष्य को स्वर्णिम बनाने में सहायक सिद्ध होगी। आज पूरा विश्व भारत की और देख रहा है।
    युवाशक्ति के उत्साह, मेहनत और देश प्रेम की भावना से देश तरक्की करेगा और निश्चित रूप से 21 वीं सदी भारत की होगी।
    मुझे प्रसन्नता है कि हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2025 तक राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने का संकल्प लिया है। इसके लिए मैं हरियाणा सरकार को बधाई देता हँू।
    विज्ञान और प्रौद्योगिकी किसी भी देश की सबसे मजबूत नींव हैं, जिस पर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से आविष्कार के क्षेत्र में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है।
    डेटाबेस के अनुसार वैज्ञानिक प्रकाशन में भारत को देशों में तीसरा स्थान दिया गया है। कोविड के चलते वर्ष 2020 विज्ञान का वर्ष रहा है, जिसमें वैज्ञानिकों ने वैक्सीन अनुसंधान विकास में नईं उपलब्धियां हासिल की है। वैक्सीन के मामले में भारतीय वैज्ञानिकों का अतुलनीय योगदान रहा है।
    विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार ने केन्द्र सरकार की सहायता से 191 करोड़ रूपये की लागत से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में साईंस सिटी स्थापित करने की योजना तैयार की है। इसके साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को प्रत्येक वर्ष हरियाणा विज्ञान रत्न और हरियाणा युवा विज्ञान रत्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा है।
    आधुनिक विज्ञान तथा टेक्नॉलॉजी के साथ कौशलता के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने का हमारा लक्ष्य तभी सिद्ध होगा जब युवा डिग्री प्राप्त कर उद्यमशीलता के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे।
    केवल मात्र कौशलता से ही देश से ही बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों को स्किल्ड और रिस्किल्ड की प्रणाली पर काम करना होगा।
    जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने हरियाणा के साथ-साथ देश की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
    इस विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होने के नाते मुझे यह जानकर गर्व हुआ कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र आज उद्योग जगत में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे है और देश के प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। ज्यादातर पूर्व छात्र ऐसे हैं जो अपना स्टार्ट-अप स्थापित कर अनेक युवाओं को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं।
    आप सब भी ऐसे युवा उद्यमियों से प्रेरणा लेकर जॉब-सीकर होने के बजाय जॉब-क्रिएटर बनने के विषय में सोचें, कार्य करें और जीवन में आगे बढ़ें।
    हमें देश और स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय मांग के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षित करना है। जिससे वे अपना स्टार्ट-अप स्थापित करें। उनके द्वारा उत्पादित माल को लोकल से ग्लोबल तक ले जाना है। इसके लिए विश्वविद्यालयों को नए शोर्ट-टर्म, कोर्सिंग व कार्यक्रम व पाठ्यक्रम शुरू करने हैं। इसके साथ-साथ शिक्षण संस्थानों को नए अनुसंधानों पर बल देना है। अनुसंधान कार्य केवल लैबोरेट्री तक न रहे बल्कि अनुसंधान को जन सामान्य के लिए उपयोगी बनाना है।
    मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय ने कोरोनाकाल में अपने सामाजिक दायित्वों को भी भली-भांति निभाया है। खासकर, विश्वविद्यालय के स्टूडेंट वालंटियर्स ने फरीदाबाद प्रशासन के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी का सही उपयोग करते हुए जिस तरह से आक्सीजन रि-फिलिंग मैनेजमेंट सिस्टम को सफल बनाया, इसकी मैं प्रशंसा करता हूं।
    21वीं सदी में विश्वविद्यालयों से यह अपेक्षा की जाती है कि विद्यार्थी और प्राध्यापक इस सदी की जरूरतों को पूरा करने और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम सिद्ध होंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब इन अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे।
    आप सौभाग्यशाली है कि अपने ऐसे प्रदेश में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जो गीता जन्मस्थली है। महान कवि सूरदास के नाम से पहचाना जाने वाला यह शहर भगवान कृष्ण की कर्मस्थली रहा है।
    भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि बृज से सटा हुआ यह क्षेत्र हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरित करता है और कर्म करने का सन्देश देता है।
    इस क्षेत्र के लिए खुशी की बात है कि आपके पड़ोसी जिला पलवल में हरियाणा सरकार ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की है। मुझे विश्वास है कि आपका विश्वविद्यालय श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय से समन्वय स्थापित कर कौशल विकास के लिए और आगे बढ़कर कार्य करेगा। जिससे युवाओं को लाभ मिलेगा।
    मेरी आपसे अपील है कि आप जहां जिस भी स्थिति में हैं पूरे मन के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने में शत-प्रतिशत लगाएं। जिससे निश्चित रूप से आपको सफलता मिलेगी और आपका सामर्थ्य और योग्यता देश के काम आएगी। कहा भी गया है किः-
    ‘अमंत्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्।
    अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभः।।’
    (There is no letter which doesn’t have a charm,
    there is no root which doesn’t have medicinal property.
    There is no person who is not able,
    but rare is the one who knows his/her proper application.)

    भावार्थ: ऐसा कोई अक्षर नहीं जिसका महत्व न हो, ऐसी कोई जड़ी नहीं जिसका कोई औषधीय उपयोग ना हो! ऐसा कोई शख्स नहीं जिसकी कोई योग्यता या क्षमता न हो, पर इनका संयोजन करने वाले कुशल योजनाकार मुश्किल से मिलते है! आप सभी शिक्षक व डिग्री प्राप्तकर्ता कुशल योजनाकार बनकर राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करें।
    मैं आशा करता हूं कि आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष में आजकल पूरे देश में चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव में आप सभी युवा किसी न किसी रूप में भागीदारी भी करें। सन 2047 में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी मनाएगा तब आप जैसे युवा देश को नेतृत्व दे रहे होंगे। भारत के निर्माण के लिए आप सबको आज से ही संकल्पबद्ध होकर जुट जाना चाहिए। मैं चाहूंगा कि आप सब भारत को विकास की ऐसी ऊंचाइयों तक ले जाएं जो हमारी कल्पना से भी बहुत ऊपर हो।
    अंत में, मैं कुलपति व उनकी टीम को विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह के सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं और उपाधि प्राप्तकर्ताओं विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, कर्मचारीगण व विद्यार्थीगण के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
    जयहिन्द! जय हरियाणा।