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    चंडीगढ में 21 मई 2022 को आयोजित ज्योतिष परागण ‘ऊर्जा’ सेमिनार में दिए जाने वाले भाषण का प्रारूप

    Publish Date: मई 21, 2022

    ज्योतिष परागण के इस सेमिनार ‘ऊर्जा’ में उपस्थित
    ज्योतिष परागण की अध्यक्षा ज्योतिषाचार्य पूनम शर्मा जी
    ज्योतिषाचार्य श्री अजय भामी जी
    लेखराज जी
    शालिनी मुंझाल जी,
    मदन गुप्ता जी,
    गोपाल राज जी
    तथा देश के विभिन्न स्थानों से पहुंचे ज्योतिषाचार्य एवं विद्वतमंडल।
    भारत की प्राचीन विद्या को सहेजकर रखने वाले सभी ज्योतिषाचार्य एवं प्रबुद्ध वर्ग को मेरा प्रणाम। आप जो कर रहे हैं वह अति महान कार्य है। हमारी सत्य सनातन वैदिक विद्या रूपी इस धरोहर को सम्भाल कर रखना कोई आसान काम नही है, फिर भी आप कर रहे हैं, उसके लिए मैं आपको हार्दिक बधाई देता हूं।
    आपकी टीम द्वारा चंडीगढ में ज्योतिष परागण नामक एक संस्था चलाई जा रही है, जिसके साथ जुडकर आप सभी काम कर रहें होंगे। जैसा कि मुझे बताया गया है कि यह संस्था गत 20 वर्षों से ज्योतिष और आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्यरत है, जोकि सराहनीय है।
    हमारे प्राचीन सनातन वैदिक धर्म ग्रन्थों में चार वेद, चार उपवेद, छः वेदांग, छः शास्त्र, बारह उपनिषद और अठारह पुराण शामिल है। इन सभी ग्रन्थों में सृष्टि का समस्त ज्ञान निहित है।
    ज्योतिष भी वेद के छः अंगों में से एक है। मैं समझता हूं कि आपने वेद के इस महत्वपूर्ण अंग का अच्छी प्रकार से अध्ययन किया होगा।
    जैसा कि मुझे पता चला है कि इसके साथ ही आप वास्तु शास्त्र, अंक विज्ञान तथा टैरो कार्ड पर शौध कार्य कर रहे है। ज्योतिष विज्ञान में गणित विज्ञान, गृह नक्षत्र, तिथि, वार, योग और कर्म का अध्ययन कर भविष्य की घटनाओं पर अपने मत दिए जा सकते है। परन्तु इनको और आधुनिक और विश्वसनीय बनाने की आवश्यकता है।
    इसके साथ ही हस्तरेखा ज्ञान, फेस रीडिंग तथा व्यक्ति की प्रकृति की जानकारी के आधार पर उसके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। परन्तु इसके लिए कडी मेहनत, गहन अध्ययन और अखडिंत तप की आवश्यकता है।
    आप यह जानते हैं कि पर्यावरणीय दबाव, ग्रहों की गति तथा सौरमंडलीय हलचल इत्यादि की जानकारी के आधार पर आज वैज्ञानिक सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, बारिस की स्थिति, कब बारिस होगी, कितनी बारिस होगी तथा ऋतु परिवर्तन का अनुमान लगाते है, जोकि काफी ठीक भी होता है।
    इसके साथ ही यह ज्योतिष ही है, जिससे पृथ्वी की सूर्य व अन्य ग्रहों से दूरी, पृथ्वी की गति, सूर्य की गति तथा नए ग्रहों की खोज की जाती है। इसलिए ज्योतिष एक सम्पूर्ण विज्ञान है, कोई पाखंड नही है। यह गणित विज्ञान में सहायता करता है लेकिन फलित के लिए मानव चेतना, ध्यान और निरंतर अभ्यास की जरूरत है।
    आज समाज में इस विज्ञान को कुछ स्वार्थी और अनजान लोगों ने बदनाम भी कर दिया है। उस पर भी आपको नियंत्रण करने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस प्राचीन विद्या पर विश्व के लोगों का विश्वास बना रह सके।
    अंत में यहां पहुंचे देशभर के सभी ज्योतिषाचार्यों तथा कार्यक्रम के आयोजक मंडल को पुनः बधाई देता हूं और यह उम्मीद करता हूं कि आप इस कार्य को कर्तव्य निष्ठा से करेंगे ताकि देश में इस प्राचीन ज्ञान को सहेजकर रखा जा सके।

    धन्यवाद
    जयहिन्द।