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    एक शाम शहीदों के नाम ‘‘विजय दिवस’’

    Publish Date: दिसम्बर 16, 2021

    आदरणीय श्री दुश्यंत चौटाला जी, उप-मुख्यमंत्री हरियाणा,
    आदरणीय श्री ज्ञानचंद गुप्ता जी, विधानसभा अध्यक्ष, हरियाणा
    श्री कंवर पाल जी, षिक्षा मंत्री हरियाणा,
    श्री मूलचंद षर्मा जी, परिवहन मंत्री,
    श्री रणजीत सिंह जी, बिजली मंत्री,
    श्री बनवारी लाल जी, सहकारिता मंत्री,
    श्री रणबीर गंगवा जी उपाध्यक्ष हरियाणा विधानसभा,
    श्रीमती कमलेष ढांडा जी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री,
    श्री अनुप धानक जी, पुरातत्व एवं संग्रहालय राज्यमंत्री,
    श्री संजीव कौषल जी, मुख्य सचिव हरियाणा,
    श्री डी.एस. ढेसी जी, मुख्य प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री हरियाणा
    श्री विरेन्द्र सिंह कुंडू जी, अतिरिक्त मुख्य सचिव सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण विभाग
    पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वी.पी. मलिक जी, ए.वी.एस.एम
    पूर्व नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा जी, (पी.वी.एस.एम, ए.वी.एस.एम)

    उपस्थित सेना व प्रषासनिक अधिकारीगण, गणमान्य महानुभाव, भाईयो, बहनों पत्रकार एवं छायाकार बन्धुआंे !
    विजय दिवस के इस पावन अवसर पर आयोजित ‘‘एक षाम षहीदों के नाम’’ कार्यक्रम में उपस्थित होने पर मैं आप सबको हार्दिक बधाई देता हूं। साथ ही, 1962, 1965, 1971 तथा 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहूति देने वाले भारतीय सेना के जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
    अंतिम सांस तक भारत के लिए लड़ने वाले हर जवान को मेरा नमन है। उनका बलिदान हमें भी देष पर मर-मिटने के लिए प्रेरित करता है।
    आज देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। साथ ही देष में विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।
    इन दोनों षुभ पर्वों की देश व प्रदेष की जनता को हार्दिक बधाई एवं षुभकामनाएँ देता हूँ ।
    पूरा देष वीर षहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों व विजय दिवस के बहादुर वीरों के प्रति नतमस्तक है। साथ ही उन परिवारों का भी ऋणी है जिन्होंने अपने सपूत देष के लिए कुर्बान कर दिए।
    1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे कर बांग्लादेष को आजाद करवाने वाले अपने वीर सपूतों के अदम्य साहस को भारत कभी नहीं भूलेगा।
    उनकी वीरता की कहानियां हमारे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएंगी और आने वाली पीढ़ियों को देषप्रेम व देषभक्ति का पाठ पढाती रहेंगी।

    आज से 50 साल पहले भारतीय सेना ने फील्ड मार्षल जनरल सैम मानेकषाह के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना को मात्र 13 दिन के युद्व में आत्म समपर्ण करने पर मजबूर कर दिया था और पाकिस्तान का गुरूर चूर-चूर किया था।

    16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी सेना के जनरल ए.ए.के. नियाजी ने 93000 ;तिरानवें हजारद्ध सैनिकों के साथ लैफिटनैंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने सरैंडर किया।
    भारतीय सेना ने बड़ा दिल दिखाया और फील्ड मार्षल सैम मानेकषाह ने जैनेवा समझोते के अनुसार पकिस्तानी सैनिकों को पूरा सम्मान दिया। बाद में शिमला समझौते के तहत इन सैनिकों को अपने देष वापिस भेज दिया। जंग जीतने के बाद भी भारत ने सयंम दिखाया।
    इसलिए भारत के लिए कहा गया है
    ‘‘सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है,
    बल का दर्प चमका उसके पीछे जब जगमग है।’’
    आप सभी जानते हैं कि जो समाज एवं राष्ट्र अपने शहीदों का सम्मान करता है और सदैव उनके सिद्धांतों व कार्यों से सीख लेता है वह सदा समृद्धि और प्रगति की ओर अग्रसर होता है। इसलिए हमें सदा अपने शहीदों को सम्मान के साथ याद रखना चाहिए और नमन करना चाहिए।
    राष्ट्र की रक्षा, एकता एवं अखण्डता को कायम रखने के लिए हमारे वीर सैनिकों और अन्य देषभक्तों ने जो शहादत दी है, हमारा राष्ट्र उनका सदा ऋणी एवं कृतज्ञ रहेगा।
    मुझे गर्व है कि हमारे वीर सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने अमूल्य प्राणों तक की बाजी लगाने में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते और एक प्रहरी की तरह देष की सीमाओं पर बडी मजबूती के साथ डटे हुए हैं, चाहे राजस्थान का मरूस्थल हो, सियाचीन की उंची पहड़ियां हों या लेह लद्दाख में माईनस टैंपरेचर का मौसम हो उन्होंने सदैव देष को विदेषी आक्रान्ताओं से बचाये रखा है।
    1962, 1965, 1971 के विदेषी आक्रमणों व आपरेषन कारगिल के दौरान सब मुसीबतों का सामना करते हुए उन्होंने दुष्मन के दांत खट्टे किए हैं।
    ऐसे वीरों की वीरता और षहादत का कोई मूल्य नहीं हो सकता। लेकिन उनको याद कर उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करना और वे अपने पीछे जो परिवार छोड़कर चले गए हैं उनका सम्मान व सहायता करना हर नागरिक का कर्त्तव्य है।
    केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें शहीदों के परिवारों व स्वतंत्रता सैनानियों को तथा उनके आश्रितों को अनेक सुविधाएं प्रदान कर रही हैं।
    केन्द्र सरकार ने रक्षा पैंशन की मंजुरी और वितरण के स्वचालन के लिए एक एकीकृत प्रणाली (स्पर्श) लागु की है। केन्द्र सरकार द्वारा व्दम त्ंदा व्दम च्मदेपवद (व्त्व्च्) योजना शुरू की गई है इससे लाखों पूर्व सैनिकों को लाभ हुआ है।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने भारतीय सेना को अति आधुनिक त्ंंिसम थ्पहीजमत श्रमजए ै-400 डपेेपसम क्ममिदबम ैलेजमउ, ठतंीउवे डपेेपसम उपलब्ध करवाया है। इसके साथ-साथ बहुत ही आधुनिक भ्लचमतमेवदपब डपेेपसम भी विकसित होने की बहुत ही ।कअंबदम स्टेज में है। इतना ही नहीं ब्लइमत क्ममिदबम ।हमदबल का निर्माण कर मिलिट्री के ब्लइमत प्दतिंेजतनबजनतम को मजबूत किया है।

    इन सब अत्याधुनिक हथियारों से लैस होने पर आज भारतीय सेना हर बड़े से बड़े मुकाबले के लिए तैयार है। आज भारत 21वीं सदी का भारत है।
    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में स्वदेषी डिफैंस इन्डस्ट्री का आधुनिकीकरण किया गया है। प्रधानमंत्री जी ने देष में पहली बार तीनों सेनाओं के समन्वय के लिए ब्ीपम िव् िक्ममिदबम ैजंिि ;ब्क्ैद्ध का पद सृजित किया। इस पद पर पहली बार जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति की गई।
    जनरल रावत ने सेना के आधुनिकीकरण और सामरिक क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जनरल रावत गत 8 दिसम्बर को हेलिकॉप्टर दुर्घटना में वीर गति को प्राप्त हुए। इस दुर्घटना में उनकी धर्मपत्नि सहित 13 सेना अधिकारी व जवान भी षहीद हुए। मैं इन सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
    जहां केन्द्र सरकार ने भारतीय सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है वहीं हरियाणा सरकार ने भी सैनिकों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
    हरियाणा में सैनिक, पूर्व सैनिक व उनके परिवारों के कल्याण के लिए अलग से विभाग का गठन किया है। विभाग के माध्यम अनेक योजनाएं लागू की गई हैं। 60 वर्श व इससे अधिक आयु के भूतपूर्व सैनिक व उनकी विरांगनाओं व भूतपूर्व सैनिकों के अनाथ बच्चों तथा 1962, 1965 व 1971 की युद्ध विधवाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता 2016 से 2000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रूपयें मासिक की गई है। इस राषि में प्रति वर्श हरियाणा दिवस के अवसर पर 400 रूपये की वृद्धि की जाती है।

    अक्तूबर, 2014 से अब तक षहीद सैन्य/केन्द्रीय सषस्त्र पुलिस बल के 387 आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी प्रदान की गई है।

    इन योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए मैं विशेष रूप से मुख्य मंत्री श्री मनोहर लाल जी को बधाई देता हूँ।

    सरकार के साथ-साथ देष के हर नागरिक का भी कर्त्तव्य बनता है कि वह देष के वीर सैनिकों, विषेषकर शहीदों के परिवारों और उनके आश्रितों का भरपूर आदर करते हुए उनकी हर प्रकार से सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहे।
    मैं इस आयोजन के लिए आप सभी को बधाई देना चाहूगां कि आप सभी ने इस विजय दिवस के इस कार्यक्रम के षामिल होकर पूर्व सैनिकों, व उनके परिवारों का मनोबल बढ़ाया है।
    इन्हीं शब्दों के साथ मैं पुनः विजय दिवस पर सबको हार्दिक बधाई देता हूं और उस युद्ध में अपने प्राणों की आहूति देने वाले जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। मैं उनके परिवारों को भी नमन करता हूँ जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने सपूतों को कुर्बान कर दिया। साथ ही आप सबका आभार प्रकट करता हूं कि आपने मुझे यहां आमंत्रित कर उन वीरों को श्रद्वांजलि देने का अवसर प्रदान किया।

    जयहिंद!