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    एक दिवसीय वर्चूअल कार्यशाला

    Publish Date: फ़रवरी 21, 2022

    सबसे पहले मैं आज की इस एक दिवसीय वर्चूअल कार्यशाला में सभी अधिकारी गण, कुलपतिगण व कुलसचिवगण का हार्दिक स्वागत करता हॅॅू। मैंने राज्य के एक दर्जन से भी अधिक विश्वविद््यालयों का दौरा किया है। अपनी विजीट के दौरान विविशवविद्यालयों परिसरों में ढांचागत सुविधाओं का अवलोकन करने व फैकल्टी तथा छात्रों और पदाधिकारियों से बातचीत करने का मौका मिला है। मैं पूरी तरह आश्वास्त हुआ हूँ कि हमारे विश्वविद््यालय वर्तमान शिक्षा व्यवस्था व राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शैक्षणिक गतिविधियों क्रियान्वित करने में पूरी तरह सक्षम हैं। यहां तक कि कई विशवविद्यालयों ने तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कई मानदण्डों को प्रभावी ढंग से लागु भी किया है। इसके लिए मैं आप सभी को शुभकामनाएं व बधाई देता हँू ।
    जैसा कि हम सब जानते है, देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति व डिजीटलीकरण के चलते शिक्षा सेवा और शासन में एक बदलाव का दौर है । इस दौर में हमने भी विभिन्न क्षेत्रों में और तेजी लाकर समय के साथ चलना है तभी हम नई शिक्षा व्यवस्था का आधार मजबूत कर पाएंगें। आज की यह कार्यशाला आप द्वारा किए जा रहे कार्यो की ही समीक्षा करने के लिए आयोजित की गई है।
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागु करने व अपनाने में सबसे अधिक जवाबदेही व जिम्मेवारी विश्वविद््यालयों पर है। क्योंकि देश की युवा शक्ति विश्वविद््यालयों व महाविद््यालयों से जुड़ी हुई है। युवा शक्ति के राष्ट्र और समाज निर्माण में और अधिक योगदान के लिए किस प्रकार से उन्हें तैयार किया जा सकता है। समाजिक कुरितियों जैसे नशा, अपराध, दहेज प्रथा को मिटाने में युवाओं को प्रशिक्षित कर अभियान के लिए गा्रमीण व शहरी क्षेत्र में उनकी सेवाएं जी जा सकती है। पौधारोपण, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, स्वच्छता, डिजीटल, फिट-इण्डिया जैसे कार्यक्रमों से जोड़ कर युवा शक्ति का भरपूर उपयोग करें। इसके लिए कार्ययोजना बनाकर विश्वविद््यालयों में छात्रों को प्रशिक्षित करें। मैं समझता हूॅं निश्चित तौर पर समाज में सक्रात्मक बदलाव होगें।
    कोविड-19 के समय में सबसे ज्यादा नुकसान हमारी युवा पीढ़ी यानि छात्रों को हुआ है। इनके एकेडमिक लोस की भरपाई कैसे की जा सकती है। इसके ध्यान में रखकर कार्य करने की जरूरत है। इसके लिए डिजीटल शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। साथ ही ट््यूटोरियल व एक्स्ट्रा कक्षाएं आयोजित कर ही शिक्षा की हानि की भरपाई की जा सकती है। ऐसे में विश्वविद््यालय प्रशासन द्वारा किस प्रकार की तैयारियां की गई है।
    कौशलता के इस युग में युवाओं, छात्रों को व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण, प्रोत्साहन व उनमें कौशलता का विकास करके ही हम रोजगार के लिए स्टार्ट-अप के लिए तैयार कर सकते हैं। इन सब के लिए औद्योगिक इकाईयों से सम्पर्क और विश्वविद््यालयों में इनक्यूवेशन सैन्टरों की स्थापना की जानी जरूरी है। इसके साथ – साथ जोब-प्लेसमैंट की व्यवस्था जरूरी है। इनके लिए पूर्व छात्रों ;एल्यूमनाईद्ध का किस प्रकार सहयोग लिया जा सकता है। अपने पूर्व छात्रों को जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे है। ज्यादा से ज्यादा सहयोग लंे। केन्द्र सरकार द्वारा देश में डिजीटल विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने हैं। इसके साथ-साथ कई भाषाओं में शिक्षा दी जानी है। 12वीं तक क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा देने के लिए देश में 200 चैनलों के जरिए प्रोग्राम प्रसारित किए जाएंगें।
    शिक्षा के लिए इस बार केन्द्रीय बजट में एक लाख करोड़ रू से भी अधिक की राशि अंवटित की गई है। इससे कौशलता के नए आयामों को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार की आपार सम्भावनाएं बढ़ेगी। नैशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क को प्रगतिशील औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने विश्वस्तरीय गुणवत्तापूर्ण, शिक्षा का ढंचा तैयार होगा। सभी विश्वविद््यालय नई टैक्नोलोजी के लिए रिसर्च वर्क को कैसे आगे बढ़ा सकते है ताकि आपके द्वारा किए गए अनुसन्धान रिसर्च को नई पहचान मिले । साथ ही विशवविद्यालयों की रिसर्च का पेटेंट करवाएं । जिससे आत्मनिर्भर भारत अभियान व वोकल फार लोकल अभियान को बल मिले।
    विश्वविद््यालयों में एकेडमिक सैशन का निश्चित शैड््यूल तैयार करने के साथ साथ परीक्षा और परिणाम सम्बन्धित कार्यो में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। परीक्षाओं का शैड््यूल निश्चित हो साथ ही परिणाम भी पूरी तरह पारदर्शी व समय पर घोषित हों।
    नई शिक्षा नीति के तहत सरकार द्वारा शिक्षा को डिजिटल रूप देने व वर्तमान व्यवस्था के अनुरूप के क्रियान्वयन के लिएSWAYAM, SARTHAK, VIDYA, PRAVESH, DIKSHA, SAFAL, NDEAR, NETF, NISHTHA 2.0 तथा साईन लैंग्वेज के उपयोग व श्रेष्ठ भारत, एक राष्ट्र एक डिजीटल प्लेटफोर्म के सम्बन्ध में हमें आगे बढ़ कर कार्य करना है। क्योंकि इन्ही कार्यक्रमों को लागु कर हम इन्टरनेट आफॅ थिंग्स, रोबोटिक्स, ब्लाकचेन टेक्नालाजी की ओर बढ़ सकते हैं।
    राष्ट्र को आत्मनिर्भर व नव निर्माण की दिशा में आगे ले जाने वाली गतिविधियों जैसे फिट-इण्डिया, खेलों इण्डियां, कलात्कम, रचनात्मक कार्य, एन0एस0एस0, एन0सी0सी, स्काउट्स और महिला सशक्तिकरण कार्यो को बढ़ावा देना और छात्रों को इन कार्यो से सम्बन्धित गतिविधियों के लिए तैयार करना है।
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विश्वविद््यालयों को स्वायतता प्रदान करने पर भी बल दिया गया है। ज्यादा से ज्यादा एकेडमिक कोर्सिस को डिजीटल और आनॅ-लाईन किए जाने की आवश्यकता है। इससे अन्तराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा का विस्तार होगा और विश्वविद््यालयों व शिक्षण संस्थाओं से अधिक से अधिक छात्र जुड़ पाए।
    इस वर्ष देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। युवा शक्ति को स्वतन्त्रता सेनानियों व आजादी से जुड़ी घटनाओं व एतिहासिक घटनाओं के बारे में अवगत करवाना भी शिक्षण संस्थाओं की जिम्मेवारी है। क्योंकि यही युवा देश को लीडरशीप देने वाले है। विश्वविद््यालयों में आयोजित सांस्कृतिक, एकेडमिक, खेल व कला से जुड़े हुए कार्यक्रमों को आजादी के अमृत महोत्सव से जोड़ना है।
    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेत्रत्व में केन्द्र सरकार द्वारा गत 1 फरवरी 2022 को एक विजनरी बजट तैयार किया गया है। विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थाओं ने भी एक विजनरी रूप रेखा तैयार कर देश में शिक्षा का अधार मजबूत करना है। तभी युवाओं में नौकरी ढूंढने का दृष्टिकोण नौकरी देने में बदल पाएगा। यह सभी शिक्षण संस्थाओं की सामुहिक जिम्मेवारी है कि हम युवा वर्ग को नए स्टार्ट-अप, स्वरोजगार और उद्यमिता के क्षेत्र में उतरने के लिए तैयार करें तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।

    जय हिन्द!