Close

    उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन, कुरूक्षेत्र

    Publish Date: अगस्त 22, 2022

    आदरणीय श्री सतीश जी, राष्ट्रीय सेवा संघ प्रचारक एवं अखिल भारतीय सह-संगठक, स्वदेशी जागरण मंच
    श्री कंवरपाल जी, शिक्षा मंत्री, हरियाणा
    श्री नायब सिंह सैनी जी, सांसद, कुरूक्षेत्र
    श्री सुभाष सुधा, विधायक, कुरूक्षेत्र
    श्री सोमनाथ सचदेवा जी, कुलपति, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र
    उपस्थित अधिकारीगण, शिक्षाविद, अध्यापकगण, प्रिय छात्रों, पत्रकार एवं छायाकार बंधुओं!

    मुझे आज विशेष प्रसन्नता महसूस हो रही है कि कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा युवा पीढ़ी का भविष्य स्वर्णिम बनाने व नवभारत निर्माण का सपना पूरा करने वाले विषय पर ‘उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन‘ का आयोजन किया गया है। इस आयोजन के लिए मैं विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सोमनाथ सचदेवा जी व उनकी पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    भाईयों-बहनों!
    किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को विकसित एवं सूदृढ़ करने में उद्यमिता का महत्वपूर्ण योगदान होता है। उद्यमिता की महत्ता को मद्देनजर रखते हुए दुनियाभर में 21 अगस्त का दिन विश्व उद्यमी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज इसी उपलक्ष में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है।
    भारत सदियों से ही नवाचारों और उद्यमिता के लिए एक इन्क्यूबेटर रहा है। प्राचीन भारत में अनेक हस्तशिल्प कौशल की संभावनाओं को तलाशा गया गया था। इनमें धातु कर्म, लोहा ढ़ालना, और भवन निर्माण से लेकर नृत्य, गीत, संगीत, हस्त शिल्प, हथ करघा तक सभी परम्परागत तरीके से सिखाए जाते थे। जिनमें आज भी उद्यमिता की अपार सम्भावनाएं हैं।
    आज देश में फिर से उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए नवाचारों की आवश्यकता है। इसके लिए हर क्षेत्र में कौशलता को बढ़ावा देना होगा। इसी उद्ेश्य को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में तैयार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कौशलता, रोजगारोन्मुखी और व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष फोकस किया है।
    भारत युवाओं का देश है। 65 प्रतिशत जनसंख्या युवाओं की है। युवाओं को रूचि अनुसार क्षेत्रों में कौशल प्रदान करके ही उद्यमिता में सत्त विकास की सम्भावनाओं को बढ़ाया जा सकता है।
    हमारे देश में 93 प्रतिशत संख्या असंगठित मजदूरों की है, जिसके कारण मजदूर वर्ग सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने में वंचित रह जाता है। देश में कौशलता बढ़ाकर ही मजदूरों को संगठित क्षेत्रों से जोड़ा जा सकता है। विकसित देशों की बात की जाए तो अमेरिका की बासठ (62) प्रतिशत, इंग्लैंड की अड़सठ (68) प्रतिशत, जर्मनी की पिचहतर (75) प्रतिशत तथा जापान में अस्सी (80) प्रतिशत कुशल जनसंख्या है। भारत का यह आंकड़ा चैकाने वाला है। भारत में केवल 3.8 प्रतिशत ही कुशल जनसंख्या है।
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समग्र, भविष्योन्मुखी, रोजगारोन्मुखी एवम् कौशल विश्विद्यालयों की परिकल्पना की गई है ये विश्वविद्यालय वास्तव में कौशलता के केंद्र होंगे। हरियाणा में तो ग्यारह सौ करोड़ रूपए की लागत से पलवल में विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की जा चुकी है।
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में भी हरियाणा सरकार ने और आगे बढ़कर कार्य किया है। सरकार का दावा है कि दो हजार पच्चीस (2025) तक प्रदेश में पूर्ण रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागु होगी। मुझे पता चला है कि आपके विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अधिकतर मानकों को लागु कर दिया है, इसके लिए मैं विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हॅू। सभी विश्वविद्यालयों को नवाचार व अनुसंधान कार्यों को बढ़ाना होगा।
    देश में सभी गांवों को बिजली से जोड़ने का कार्यक्रम, स्टार्टअप इंडिया, सागर माला और भारत माला जैसे कार्यक्रमों को प्रभावी रूप दिया गया है। सरकार ने अटल इनोवेशन मिशन व उन्नत भारत योजना जैसी स्कीम व एम.एस.एम.ई विभाग शुरू कर उद्यमियों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया है। देश में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की गई है। देश मंे इस योजना के तहत साढ़े पैत्तीस (35) करोड़ लोगों को 18 लाख करोड़ रूपए से भी अधिक श्रण सुविधाएं दी गई हैं। इस योजना के तहत हरियाणा में अब तक ईक्कीस (21) लाख लोगों को आर्थिक सहायता दी गई।
    इसी प्रकार से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत इस वर्ष के अन्त तक चालीस (40) करोड़ युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में कौशलता प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। निश्चित रूप से इन योजनाओं कार्यक्रमों के साकारात्मक परिणाम सामने आएगें।
    देश में स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम उद्यमिता व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कारगर सिद्ध हुआ है। आन्तरिक व्यापार एवं औद्योगिक विकास विभाग के आकड़ों के अनुसार वर्तमान में देश में पिचहतर (75) हजार से भी ज्यादा स्र्टाटअप हं,ै जो चार सौ पचास अरब डालर की पूंजी का निर्माण करते हैं। इनमें अब तक दस लाख से भी अधिक रोजगार सृजित किए गए हैं।
    हमारे देश में गांव स्तर पर सुक्षम उद्यमिता को बढ़ाने के लिए महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आगे लाने के लिए स्वंय सहायता समुहांे की संख्या बढ़ा कर इन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करना होगा। हरियाणा में लगभग पचास हजार स्वयं सहायता समुहों से पांच लाख से भी अधिक परिवार जुड़े हुए हंै। हरियाणा सरकार द्वारा स्वयं सहायता समुहों को आर्थिक रूप से मजबुत करने के लिए इस वर्ष दो सौ करोड़ रूपए की राशि खर्च की गई।
    विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे विशेषज्ञों के सहयोग से महिलाओं को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण देकर उनमें कौशल प्रतिभा विकसित करें। इससे निश्चित रूप से ग्रामीण क्षेत्र में नए उद्यमी सामने आएगें और उनका साहस बढ़ेगा।
    वर्तमान में हमें आवश्यकता आधारित, क्षेत्र आधारित, रोजगार उन्मुख कौशल प्रदान करना है। निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिकों की बात की जाए तो भारत के करोड़ों निर्माण मजदूर और कर्मी आज भी पुरानी पद्धति के अनुसार ही भवन निर्माण कर रहे हैं, उनका कौशल नई तकनीक के साथ जुड़ नहीं पाया है। यही स्थिति बुनकरों, मछुआरों, ग्वालों, भेड़-बकरी पलकों, चमड़े का काम करने वालों, लुहार, बढ़ई, कुम्हार, सुनार और हस्त शिल्पियों की है।
    परम्परागत कौशल को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के साथ ही हमें नये अवसरों को पहचान कर उनके लिए अपने युवाओं को तैयार करना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालय को एलुमनाई (पूर्व छात्रों), कारपोरेट जगत व निजी कम्पनियों के सहयोग से युवाओं को कौशलता में पारंगत करने के लिए कार्य करना चाहिए। कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय इस बात के लिए बधाई का पात्र है कि पिछले डेढ़ साल में लगभग तीन हजार विद्यार्थियों को आन-लाईन व आफ-लाईन कार्यक्रमों के माध्यम से उनको कौशल प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण व कौशल के लिए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के साथ समझौते करना भी विश्वविद्यालय का सराहनीय कार्य है।
    देश के सभी विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों में कैरियर काउंसिल सेंटर स्थापित किए जाने चाहिए जो न सिर्फ युवाओं को मार्गदर्शन दें बल्कि आज नशे आदि की समस्या से निपटने में भी निर्णायक भूमिका निभाएं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रत्येक उच्च शिक्षा संस्थान में और प्रत्येक विश्वविद्यालय में अति शीघ्र इनक्यूबेशन सेंटर और उद्यमिता विकास केंद्र स्थापित होने चाहिए जिसके रचनात्मक कौशल सम्पन्न नागरिकों का निर्माण होगा और उद्यमिता के क्षेत्र को पंख लग पाएंगे।
    आज उद्यमी दिवस पर देशभर में सम्मेलन आयोजित किए गए हैं। वहीं कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आज उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन आयोजित किया जाना उद्यमिता क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
    मेरी सभी शिक्षकों से अपील है कि वे छात्रों को तकनीकी, व्यवसायिक व मूल्य आधारित शिक्षा देने के साथ-साथ उद्यमिता के क्षेत्र में उतरने के लिए प्रोत्साहित करें तभी देश में उद्यमिता का कल्चर स्थापित होगा और हमारे छात्र दूसरे युवाओं को रोजगार देने में सक्षम होगें।
    जयहिन्द!