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    इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर में दसवें स्थापना दिवस

    Publish Date: सितम्बर 9, 2022

    आदरणीय श्री राव इंद्रजीत सिहं जी, केन्द्रीय राज्य मंत्री सांख्यिकी एवं योजना, क्रियान्वयन (स्वतंत्र प्रभार) भारत सरकार, स्वतंत्र प्रभार
    श्री ओम प्रकाश यादव जी, सामाजिक न्याय मंत्री, हरियाणा सरकार
    श्रीमती सुधा यादव जी, पूर्व सांसद
    डाॅ अभय सिंह यादव जी, विधायक, नंगल चैधरी
    श्री लक्ष्मण सिंह यादव जी, विधायक, कोसली
    श्री सीताराम यादव जी, विधायक, अटेली
    कुलपति प्रोफेसर जयप्रकाश यादव जी, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर
    श्री अशोक कुमार गर्ग जी, उपायुक्त, रेवाड़ी
    पदमश्री डाॅ एस.एस. यादव जी, मीरपुर, रेवाड़ी
    कुलसचिव प्रोफेसर प्रमोद कुमार जी, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर
    श्री विवके चंद शर्मा, भूतपूर्व कुलपति, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक
    आजाद हिन्द फौज व स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार जन, सभी शिक्षकगण एवं गैर शिक्षक स्टाफ के सदस्य, प्यारे विद्यार्थियों तथा उपस्थित सभी महानुभाव!
    सबसे पहले मैं आप सभी को इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर के दसवें स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूं। वर्ष 2013 में नौ वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय के रूप मंे लगाया गया यह पौधा निरन्तर प्रगति कर रहा है। इसका श्रेय आप सभी को जाता है। आज यह विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 9 वर्ष पूरे कर चुका है। यहां आकर मुझे परिवार में शामिल होने जैसी अनुभूति हो रही है। आज विश्वविद्यालय की नई फाईबा आप्टिक इन्टरनेट सेवा का उद्घाटन हुआ। इसके लिए मैं पूरे विश्वविद्यालय परिवार को हार्दिक एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    आज पूरा देश स्वतन्त्रता की 75वीं वर्षगांठ को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। इसी उपलक्ष में विश्वविद्यालय ने 75ं आजाद हिन्द फौज व स्वतन्त्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित करने कर निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन करना बहुत ही सराहनीय है और मुझे इन सभी के परिजनों को सम्मानित करने का मौका मिला है। मैं सभी स्वतन्त्रता सेनानी कार्यक्रम व आजाद हिन्द फौज के सेनानी परिवारों को हार्दिक बधाई व शुभकमानाएं देता हूॅ।
    पूरा देश इस वर्ष हम अपने पूर्वजों द्वारा दिए गए बलिदान की बदौलत ही आजादी के अमृत काल को महोत्सव के रूप में मना रहा है। हरियाणा को इसलिए वीर भूमि कहा जाता है कि यहां के वीरों ने स्वतन्त्रता प्राप्ति आन्दोलन मेें सर्वोच्च बलिदान दिया था। अमर शहीद स्वतन्त्रता सेनानी राव तुलाराम इसी क्षेत्र से थे, जिनके बलिदान को हम कभी भूला नहीं सकते। इन्होंने अग्रेजांे के साथ लौहा लिया। ऐसे वीर बहादुर स्वतन्त्रता सेनानी को मैं नमन करता हूॅ।
    अभी दो दिन पहले ही देश भर में शिक्षक दिवस मनाया गया है। शिक्षक दिवस के बहाने हम हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान और उनके मार्गदर्शन एवं उपकार को याद करके अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
    भारत में यह गुरु-शिष्य की परंपरा सदियों से चली आ रही है। आश्रमों में पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करने से शुरू हुई यह परंपरा आज अत्याधुनिक संसाधनों के साथ पूरी तरह डिजीटल रूप ले चुकी है। इस समय पढ़ने और पढ़ाने के लिए कंप्यूटर आधारित अनेक आधुनिक तकनीकें एवं संसाधन उपलब्ध हैं।
    गुगल युग में गुरु और शिष्य का परस्पर संबंध आज भी वही महत्व रखता है जो प्राचीन काल में था। शिक्षक एक कुशल शिल्पकार की भांति अपने छात्रों व शिष्यों को जिम्मेवार नागरिक बनाता है।
    देवीयों और सज्जनों!
    शिक्षा एवं शोध कार्यों के आधार पर ही शिक्षण संस्थाओं में विश्वविद्यालयों का सर्वोच्च क्रम तय होता है। एक विद्यालय अपने विद्यार्थियों में शिक्षा एवं संस्कारों की पौध तैयार करने वाली नर्सरी की तरह होता है और जब यह ज्ञान रूपी पौधा एक विशाल वृक्ष बन जाता है तो विश्वविद्यालय शोध कार्यों के द्वारा इस ज्ञान का प्रकाश संपूर्ण विश्व तक फैलाने का काम करता है। इसी कारण किसी विश्वविद्यालय का शिक्षक होना अपने आप में गौरवपूर्ण अनुभव होता है।
    प्रोद्यौगिकी के इस युग में शिक्षा का स्वरूप बदल चुका है और वर्तमान पीढ़ी की आवष्यकताएं भी बदल चुकी है। शिक्षा के इसी बदले स्वरूप के अनुसार वर्तमान पीढ़ी को मांग अनुसार शिक्षा प्रदान के लिए देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागु की गई। जिसमें विद्यार्थियों में कौशल विकास व रोजगारीन्मुखी शिक्षा पर सबसे अधिक जोर दिया गया है। स्थानीय कौशल एवं भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस नीति में समाज उपयोगी शोध को आगे बढ़ाने पर भी बल दिया गया है।
    हमें इस शिक्षा नीति को हू-ब-हू अमल में लाकर हमारे शिक्षण संस्थानों को विद्यार्थियों के मन में उद्यमशीलता के बीजों को ठीक प्रकार से अंकुरित करना है। इसके लिए विश्वविद्यालयों के साथ-साथ सभी शिक्षण संस्थाओं में उच्च स्तर की प्रयोगशालाएं (स्ंइ), इनोवेशन सेंटर, इक्यूबेशन सेंटर स्थापित कर शोध कार्यों को बढ़ाना है। आज शिक्षा का स्तर रिसर्च, इनोवेशन, थिसिस की गुणवत्ता के आधार पर ही आंका जाता है। इसलिए शिक्षक विश्वविद्यालयों में रिसर्च पोलिसी बनाकर शिक्षक और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करें। देश के आत्म निर्भरता की ओर ले जाने के लिए हमें महिला शिक्षा पर बल देना होगा ताकि महिलाओं की भी राष्ट्र निर्माण में बराबरी की भागीदारी हो।
    इसके लिए सभी विश्वविद्यालय लड़कियों का अधिक से अधिक पंजीकरण सुनिश्चित करें और लड़कियों के लिए विभिन्न प्रकार के कोर्सिस व शैक्षणिक कार्यक्रम आनलाइन शुरू करें। मुझे खुशी है कि पिछले दिनों मुझे कई विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में जाने का मौका मिला है, उनमें डिग्रीयां लेने वालों में अधिकतर लड़कियां थी और मेडल प्राप्त करने मेंभी लड़कियां आगे रही।
    प्रोद्यौगिकी के इस युग में छात्रों के लिए गुगल ज्ञान का एक बड़ा भण्डार है। ज्ञान का प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होना भी अपने आप में एक समस्या है। कई बार विद्यार्थी यह तय नहीं कर पाते कि उनके लिए क्या जानना जरूरी है और क्या नहीं और यहीं एक संस्कारवान एवं समर्पित शिक्षक की भूमिका सामने आती है। विद्यार्थी को किस प्रकार का ज्ञान ग्रहण करना है और उसे कहाँ एवं किस प्रकार प्रयोग करना है यह सर्वाधिक महत्व रखता है।
    अगर विद्यार्थी को परमाणु ऊर्जा का ज्ञान है तो वह इस ज्ञान का उपयोग बिजली बनाकर दुनिया को रोशन करने में भी कर सकता है और परमाणु बम बना कर इसको विनाश की तरफ भी ले जा सकता है। इनमें से उसे कौन सा कार्य करना चाहिए यह विवेक होना ज्ञानी होने से भी अधिक आवश्यक है। इस विवकेशीलता और ज्ञानी होने का गुरू एक शिक्षक ही दे सकता है। मेरी सभी शिक्षकगण से अपील है कि वे प्रौद्योगिक के मोड्स के साथ-साथ विद्यार्थियों को भारतीय, सर्वधामिक व नैतिक मुल्यों की समृद्ध संस्कृति को आगे बढ़ाएं।
    आइए, आज हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि अपने समाज में फैली बुराइयों को दूर करके देश में समानता, सौहार्द, भाईचारे, राष्ट्र-भक्ति स्थापित करने की दिशा में हम सब मिलकर प्रयास करेंगे ।
    मुझे आशा है कि आने वाले समय में यह विश्वविद्यालय शिक्षा के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में उभरेगा और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना जारी रखेगा ताकि वे जीवन की उभरती हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए जोश, उत्साह और संस्कारों के साथ सक्षम बन सके।
    एक बार फिर से आप सभी का बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
    जय हिन्द! जय भारत !