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    अन्तर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव (गीता अष्टादश श्लोकी ग्लोबल गीता चैंटिंग)

    Publish Date: दिसम्बर 14, 2021

    आदरणीय श्री जी. किशन रेडडी जी, पर्यटन एवं संस्कृति विकास मंत्री भारत सरकार,
    आदरणीय गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी,
    उपस्थित श्रद्धालुगण, प्रशासनिक अधिकारीगण, ग्लोबल गीता चैंटिंग कार्यक्रम में प्रदेशभर से जुड़े प्रिय छात्रों, भाईयो-बहनों, पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं।
    आज शुक्ल-पक्ष एकादशी एवं मोक्षदा एकादशी है। आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध प्रारम्भ होने से पूर्व सांसारिक सम्बन्धों पर मोहित हुए अर्जुन को श्रीमद्भगवतगीता का सन्देश दिया था यानि श्रीमद्भगवतगीता का जन्म आज ही के दिन हुआ था। इस अवसर मैं आप सभी देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। साथ ही साथ भगवान से कामना करता हूँ कि यह पर्व पूरी मानवता के लिए हर प्रकार से सुखदायी और मंगलमय हो।
    आज का दिन देश में पूरे विधि-विधान और पूजा आरती के साथ मनाया जा रहा है। हम सभी गीता पाठ ‘ग्लोबल गीता चैंटिंग’ के इस कार्यक्रम में पूजा आरती के लिए उपस्थित हुए हैं। मुझे प्रसन्नता है कि इस बार मोक्षदा एकादशी के अवसर पर होने वाली इस आरती में 55 हजार से भी अधिक छात्र विश्वशान्ति के लिए गीता पाठ कर रहे हैं।
    गीता पूरी मानवता को जीवन की नई राह दिखाती है। गीता किसी एक मजहब का पवित्र ग्रंथ न होकर बल्कि समस्त प्राणी जगत के कल्याण की अनुठी वैश्विक प्रेरणा है। यह पवित्र ग्रंथ मनुष्य के सामाजिक, पारिवारिक जीवन के साथ-साथ योगी जीवन जीने के लिए एक आदर्श है।

    इस पवित्र ग्रंथ से छात्रों और युवा वर्ग को कर्म, कर्तव्य, निष्ठा, दायित्व व राष्ट्र भक्ति का सन्देश मिलता है। साथ ही साथ समृद्ध संस्कृति और परम्परा से परिचित होते हैं।

    भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कर्मयोग को इस जगत का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बताया है। कर्म योग का तात्पर्य है आसक्ति रहित होकर निष्काम भाव से पुरुषार्थ करना है।
    कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
    मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ।।
    कर्म और कर्तव्य का पालन पूरी निष्ठा के साथ करके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने से मानसिक संतुष्टि व सामाजिक सम्मान मिलने के साथ ईश्वरीय कृपा होती है। इसलिए बिन फल की इच्छा किए कर्म करते रहना चाहिए।
    गीता के इस श्लोक से नैतिक मूल्यों, दृढ़ निश्चय, समर्पण, त्याग व मन में एकाग्रता का भाव पैदा होता है। गीता का नियमित पाठ करने से छात्रों का वैज्ञानिक, वैश्विक व राष्ट्रवादी दृष्टिकोण विकसित होता है, जो देश की एकता और अखंडता और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
    गीता में जीवात्मा के स्वरूप के विषय में भगवान कहते हैं कि यह जीव मेरा ही सनातन अंश है परन्तु मेरा अंश होकर भी मनुष्य भौतिकवाद में फंसा हुआ है।
    मनुष्य शारीरिक इन्द्रियों व मन आदि को अपना मानता है। अर्थात् है, जलन, शोक, चिन्ता, भय आदि सभी आफतों से घिर जाता है और दुःख का भोगी बन जाता है।
    इसी भौतिकता के चलते आज समाज में अनेक सामाजिक कुरितियों ने घर कर लिया है, जैसे नशा, दहेज, अनाचार, महिलाओं पर अत्याचार आदि। ऐसे में हम सभी की जिम्मेवारी बनती है कि हम देश के भविष्य छात्रों व युवा पीढ़ी में गीता पढ़ने के संस्कृति विकसित करें। इसके लिए हमें घरों, मन्दिर, शिक्षण संस्थाओं में निरंतर श्लोकाचारण करना होगा।
    श्रीमद्भगवतगीता में वो दर्शन हैं जो छात्रों को छात्र जीवन में चिंता और आत्म-संदेह जैसे मुद्दों से लड़ने में मदद करता है।
    इस पवित्र ग्रन्थ से निरंतर जुड़े रहने से सकारात्मक विचार एक संतुलित दृष्टिकोण होने, आत्मविश्वासी रहने से छात्र अपने जीवन के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं और छात्र जिस भी क्षेत्र में जाएंगे वहां अपनी प्रतिभागी पहचान कायम कर पाएंगे।

    कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड व हरियाणा सरकार के सहयोग से इस बार छठे अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया है।
    इस महोत्सव में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रमों में एक विशाल शिल्प एवं सरस मेला, विभिन्न सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा ब्रह्मसरोवर पर भव्य प्रर्दशनियों का आयोजन का आयोजन किया गया है।
    इसी प्रकार से रंगोली, शिल्प कला, चित्रकला एवं छायाचित्रण प्रतियोगिताएं, गीता पुस्तक मेला, हरियाणा के विकास एवं उन्नति विषयक प्रदर्शनियां, सांयकाल को प्रमुख कलाकारों द्वारा मुख्य पण्डाल में कुरुक्षेत्र, गीता, श्रीकृष्ण एवं महाभारत विषयों पर आधारित भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, ब्रह्मसरोवर एवं श्रीमदभगवदगीता की जन्म स्थली ज्योतिसर में गीता का वैश्विक पाठ, ब्रह्मसरोवर पर प्रतिदिन महाआरती का आयोजन, गीता श्लोकोच्चारण, गीता प्रश्नोत्तरी, अष्टादश श्लोकी गीता का पाठ इत्यादि इस महोत्सव में मुख्य कार्यक्रम किए गए हैं।

    इस भव्य के लिए हरियाणा सरकार विशेष रूप से मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं, स्वयंसेवकों, सभी समाज सेवियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूँ।

    एक बार फिर मैं अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2021 के अवसर पर समस्त हरियाणा वासियों तथा देशवासियों के मंगल भविष्य की कामना करते हुए सभी को अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2021 की शुभकामनाएं अर्पित करता हूँ।

    जय हिन्द-जय गीता!