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    अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (समापन समारोह) गुरुग्राम विश्वविद्यालय, गुरुग्राम

    Publish Date: नवम्बर 12, 2021

    गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा जी,
    रिलायंस जिओ इंफोकॉम के अध्यक्ष श्री सुनील दत्त जी,
    कैनविन फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. डी पी गोयल जी,
    डॉ.अंजू आहूजा जी,
    एन.के.सी प्रोजेक्ट्स के अध्यक्ष श्री नरेश कुमार जी, इस संगोष्ठी की संरक्षक डॉ. अमरजीत कौर जी, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साहेबान, शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं संगोष्ठी में भाग ले रहे शोधार्थीगण, प्रिय छात्रों, भाईयो और बहनों।
    सर्वप्रथम मैं ‘‘आपदा में अवसर-बिजनेस मॉडल का नया रूप’’ ;व्चचवतजनदपजपमे पद बतपेपे रू त्मपदअमदजपदह ठनेपदमेे डवकमसेद्ध जैसे प्रासंगिक तथा महत्वपूर्ण विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने के लिए गुरुग्राम विश्वविद्यालय को हार्दिक बधाई देता हूं। इसके साथ-साथ संगोष्टी में भाग ले रहे सभी विद्ववानों को शुभकामनाएँ।
    फरवरी 2020 से कोरोना नाम के वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया और भौतिक प्रगति के लिए दौड़ रही दुनिया की तेज रफ्तार पर अचानक ब्रेक लग गया। बड़ी-बड़ी कंपनियां, फैक्ट्रियां, दफ्तर, दुकानें सब बंद करनी पड़ी।
    इस महामारी के कारण मुनष्य एक दूसरे से मिलने में भी खतरा महसूस करने लगा तथा बीमारी के इलाज तक से लोग संकोच करने लगे। अस्पतालों, दवा की दुकानें और मोक्षधाम तो इस भयानक त्रासदी के सबसे बड़े प्रमाण बने। अपने-अपने घरों में कैद लोग अवसाद तक के शिकार हुए। काफी मात्रा में लोग नौकरी या रोजगार से वंचित हो गए। सम्पूर्ण मानवता पर टूटी इस आफत ने न केवल लोगों के ही स्वास्थ्य को प्रभावित किया बल्कि आर्थिक एवं सामाजिक ढांचे को भी बुरी तरह प्रभावित किया।
    लगभग एक सदी पहले भी प्लेग जैसी भयंकर बीमारी ने विनाश किया था। हर बड़ी मुसीबत से जूझते हुए मनुष्य ने सदैव जीवन का रास्ता, समाधान का रास्ता खोजकर निकाला है और मानवता को बचाने का ही नहीं बल्कि उसे और अधिक मजबूत तथा शक्तिशाली बनाने का कार्य किया है। भारत ने डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, समाजसेवियों, धार्मिक व समाज सेवी संस्थाओं व जन-सामान्य की सकारात्मक सोच और महान वैज्ञानिकों की सूझबूझ से कोरोना की महामारी में सर्वाधिक मजबूत भूमिका निभाई है। हमनें देशवासियों, वैज्ञानिकों, डाक्टरों, समाज सेवियों तथा संस्थाओं के सहयोग से इस भारी आपदा में कईं अवसर ढंूडे हैं।
    आर्थिक क्षेत्र में इस महामारी ने एक नई दृष्टि और अनगिनत नए प्रयोगों, नई अवधारणाओं को जन्म दिया है। शिक्षा क्षेत्र की ही बात की जाए तो महामारी के दौरान लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षण का एक कारगर उपाय हमनें सीखा है। इस ऑनलाइन शिक्षण के क्षेत्र में आज बड़े बड़े संस्थान सफलता पूर्वक काम कर रहे हैं। यहां तक कि हमारे कई विश्वविद्यालयों ने तो डिग्री और डिप्लोमा र्कोसेस ऑनलाईन शुरू कर दिए हैं।

    संचार के क्षेत्र में नए प्रयोगों और नए रोजगार का सृजन भी हुआ है। आपदाकाल में व्यापार एवं व्यवसाय को नए रूप में ढाला है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को ज्यादा प्रभावित नहीं होने दिया और भारत सबसे जल्दी संभलने वाले देशों में शुमार हुआ। यहां इससे संबधित एक बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि सिर्फ व्यापार के ही क्षेत्र में ही नहीं बल्कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता का एक ही मूलमंत्र है, वह है गिरकर फिर से खड़े होना और सकारात्मकता बनाए रखना।

    आप सकारात्मकता के साथ बड़ी से बड़ी चुनौती को भी हरा सकते हैं। परिस्थितियां भले ही कितनी भी विपरीत और भयानक हों लेकिन आपको उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना है और जीत के विश्वास के साथ अपना कार्य पूरी मेहनत के साथ, पूरी क्षमता के साथ करते रहना है। कोरोना काल ने सिखाया है कि बड़े से बड़ी विपत्ति के समय सभी भारतीय एक हैं और सबने मिलकर लड़ाई लड़ी है। इस आपदा ने मनुष्य के जीवन में अनुशासन, सफाई, समय, सहनशीलता के महत्व को बढ़ाया है।
    भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले विकासशील देश ने यदि कोराना की लड़ाई में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है। इसी सकारात्मक रवैये के कारण भारत के कई देशों के साथ सम्बन्ध प्रगाढ हुए हैं। भारत ने अपने देश में बनी कोरोना वैक्सीन 95 देशों में पहुंचाई है। इसके साथ-साथ भारत में कोरोना वैक्सीन कवरेज का 100 करोड़ का आंकड़ा पार करके यह सिद्ध कर दिया है कि हर परिस्थिति में बुलन्द होसलों के साथ काम करने में सक्षम हैं।
    आपको याद होगा जब पहली बार देश में लॉकडाउन लगाने की नौबत आई तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को संबोधित किया और सबसे पहले एक दिन के जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था। इसकी समाप्ति पर लोगों ने अपने घरों की छतों या बालकनी में निकलकर तालियां बजाकर एक दूसरे का धन्यवाद किया था। जिस तरह से देश के जन-सामान्य ने इस लड़ाई में सकारात्मकता के साथ खड़े होने का संदेश दिया उसी दिन इसमें हमारी सफलता तय हो गई थी।
    इसी वक्त को एक सकारात्मक सोच के कारण “आपदा में अवसर” तथा “आत्मनिर्भर भारत” जैसे नारे मिले जो बाद में अभियान बन गए। आज हम इस आपदा से मिले सबक से अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, हमारे यहां इसी आपदा के समय पीपीई किट, मास्क, सेनेटाइजर जैसी जरूरी चीजों का निर्माण रिकॉर्ड स्तर पर होने लगा। मुझे पूरा विश्वास है कि आर्थिक क्षेत्र में नए प्रयोग तथा नए तौर-तरीकों को विकसित करने में यह संगोष्ठी महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
    मुझे जानकारी मिली है कि कोविड के समय में लोगों को मानसिक मजबूती देने के लिए गुरुग्राम विश्वविद्यालय ने ‘‘सुकून’’ नाम से हेल्पलाइन संचालित की। कोविड संबंधी जानकारी के लिए भी हेल्पलाइन के माध्यम से मदद की। जिसमें करीब 120 चिकित्सकों ने लाखों लोगों से संवाद कर उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास किया। आज गुरुग्राम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी का विषय भी इसी सफल संघर्ष से ही जुड़ा है ।
    मैं गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति तथा प्रबंधन अध्ययन विभाग को साधुवाद देता हूं कि इतने महत्वपूर्ण विषय पर सफलतापूर्वक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। मुझे यह जानकर खुशी है कि इस संगोष्ठी में देश-विदेश से करीब सौ से अधिक लेखकों ने अपने शोध पत्र भेजे हैं। इनमें से बयालीस (42) को यहां दो दिन में अपने शोध-पत्र पढ़ने का अवसर मिला है। तीन चयनित शोध पत्रों को विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसके अतिरिक्त 39 शोधार्थियों के शोध-पत्र संपादित पुस्तक में प्रकाशित हुए हैं। आप सभी को मैं हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि देश के विकास तथा आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने में आप अपने अध्ययन एवं शोधकार्यों से निरंतर महत्वपूर्ण योगदान देंगें। एक बार पुनः समस्त विश्वविद्यालय परिवार को इस संगोष्ठी के आयोजन के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

    धन्यवाद ।

    जय हिंद-जय हरियाणा